कोई दीवाना कहता है कोई आवारा कहता है
मगर धरती के बेचैनी को बस बादल समझता है
में तुझसे दूर कैसे हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
की मोहब्बत् एक एहससो कि पावन सी कहनी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कह्ते है मेरी आखौ मै आँसु है
जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी
समन्दर पीर का अन्दर है लेकिन रो नही
ये आँसू प्यार का मोती है इसको खो नही सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन लेना
जो मेरा हो नही पाया वो तेरा हो नही सकता
भ्रमर कोइ कुमुद्नी पर मचल बैठा तो ह्न्गामा
हमारे दिल कोई ख्वाब पल बैठा तो ह्न्गामा
अभी तक सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मै किस्से को हकीकत बदल बैठा तो ह्न्गामा
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